हिमालय में स्थित यह सबसे लंबी, पुरानी और रहस्यमयी गुफा आज भी कई राज समेटे हुए हैं। भगवान शिव ही नहीं बल्कि पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। यह गुफा हिमाचल के सोलन जिले के करोल पहाड़ के टॉप पर स्थित है। इसका रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाया।पांडव गुफा के नाम से विख्यात यह गुफा कितनी बड़ी है इसका आज तक कोई पता नहीं लगा पाया। कहते हैं गुफा के अंदर कई अजीबों गरीब चीजें हैं जिन्हें देखने के बाद किसी की अंदर जाने की हिम्मत नहीं होती।
मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव और उनका परिवार रहता था। गुफा के अदर कई शिवलिंग भी बने हुए हैं। ऐसे में यह गुफा भगवान शिव से जुड़े अनेकों रहस्य समेटे हुए हैं। आज भी सावन के महीने में स्थानीय लोग यहां भगवान शिव की पूजा करते हैं।
ऐसा माना जाता कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। झील के अंदर थोड़ी दूरी पर विशाल झील भी बनी हुई है। कहते हैं दो साधु इस गुफा का रहस्य जानने अंदर गए थे लेकिन कभी वापस नहीं लौटे। यह गुफा कितनी बड़ी है इसका पता आज तक नहीं चल पाया। लेकिन अनुमान है कि यह करीब 28 से 30 किलोमीटर लंबी हो सकती है।
कुछ लोग गुफा के करीब एक किलोमीटर अंदर तक भी गए हैं। अंदर जाते ही यह गुफा काफी चौड़ी हो जाती है। इस दौरान शिवलिंग, शेषनाग जैसी आकृतियां गुफा के अंदर दिखने लगती है। वैज्ञानिकों की टीम भी इस गुफा का मुआयना कर चुकी है। टीम ने अंदेशा जताया था कि इस गुफा के अंदर बड़ी झील हो सकती है।
इस गुफा का एक सिरा कालका के साथ लगते पिंजौर में निकलता है। कहते हैं कि पहाड़ा का पानी इस गुफा से होता हुआ पिंजौर तक पहुंच जाता है। इस बारे में वैज्ञानिकों ने भी पाया कि यहां पानी के साथ बहे ओक पेड़ के पत्ते पिंजौर में निकलते हैं।
गुफा तक पहुंचने के लिए करोल चोटी के शिखर पर जाना पड़ता है। यह एक अच्छा ट्रैकिंग का रास्ता भी है। टॉप पर बनी गुफा दर्जनों किलोमीटर दूर जाकर मैदानी इलाके में खत्म होती है। यहां चोटी के शिखर पर अब मंदिर भी बनाए गए हैं। यहां के स्थानीय लोग अक्सर सैलानियों को इस गुफा की कहानी सुनाते हैं।
पांडव गुफा से सोलन और शिमला का नजारा भी देखने लायक होता है।
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