Wednesday, July 14, 2021

अमरनाथ यात्रा: प्रतिदिन बदल रहा है पवित्र शिवलिंग का आकार, तस्वीरों में देखें बाबा बर्फानी के दिव्य रूप

MH ONE ब्यूरो, नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रा का नाम सुनते ही भोले भक्तों के सामने बाबा शिव शंकर के बर्फ से बने विशाल शिवलिंग की छवि आंखों के सामने आ जाती है। अमरनाथ यात्रा की प्रमुख बात यह है कि यहां शिवलिंग स्वयंभू है यानी स्वयं निर्मित होता है। इस साल यात्रा 28 जून से प्रारभ हुई है जो रक्षाबंधन यानि 22 अगस्त तक चलेगी। हालांकि पिछले साल की तरह इस साल भी भक्तों को यात्रा पर जाने की इज़ाज़त नहीं है।

 

भोलेनाथ के भक्त प्रतिदिन बाबा बर्फानी के दर्शन MH ONE PRIME पर कर रहे हैं। बाबा अमरनाथ पवित्र शिवलिंग का आकार रोज़ घट-बढ़ रहा है। पवित्र शिवलिंग को स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है, कहा जाता है कि चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस शिवलिंग का आकार भी घटता बढ़ता जाता है। अमरनाथ का शिवलिंग ठोस बर्फ से निर्मित होता है जबकि जिस गुफा में यह शिवलिंग मौजूद है, वहां बर्फ हिमकण के रूप में होती है। तस्वीरों के माध्यम से देखिये कैसे बाबा बर्फानी का आकार बदल रहा है।

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दक्षिण कश्मीर में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्री अमरनाथ गुफा मंदिर में पवित्र शिवलिंग लोगों की आस्था का केंद्र है। शास्त्रों के अनुसार यह वही पवित्र स्थान है जहां भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी।अमरकथा सुनने के दौरान माता पार्वती को नींद आ गई। भगवान शिव जब यह कथा सुना रहे थे, तो दो कबूतर भी यह सुन रहे थे। ब्रह्मांड का रहस्य जानकर उन कबूतरों को अमरत्व की प्रप्ति हो गई। कहते हैं कि हर साल सावन मास की पूर्णिमा को ये कबूतर गुफा में दिखाई पड़ते हैं।

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शिवलिंग से जुड़ा सच
पवित्र गुफा में बनने वाले शिवलिंग या हिमलिंग के बनने की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। आज तक विज्ञान भी हिमलिंग के बनने की गुत्थी नहीं सुलझा पाई है। इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है। पानी के रुप में गिरने वाली बूंदे इतनी ठंडी होती है कि नीचे गिरते ही बर्फ का रुप लेकर ठोस हो जाती है। यह क्रम लगातार चलता रहता है और बर्फ का 12 से 18 फीट तक ऊंचा शिवलिंग बन जाता है। जिन प्राकृतिक स्थितियों में इस शिवलिंग का निर्माण होता है वह विज्ञान के तथ्यों से विपरीत है।

विज्ञान के अनुसार बर्फ को जमने के लिए करीब शून्य डिग्री तापमान जरुरी है लेकिन अमरनाथ यात्रा के समय इस स्थान का तापमान शून्य से उपर होता है। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। ऊपर से बर्फ के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।

 

1 comment:

  1. मैं इस पोस्ट को भविष्य के उद्देश्यों के लिए बुकमार्क कर रहा हूँ। यह एक मूल्यवान संसाधन है जिसे मैं [विषय] पर जानकारी की आवश्यकता पड़ने पर वापस आ सकता हूँ। अमरनाथ यात्रा

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