Tuesday, September 24, 2024
श्री रूपा भवानी! श्री मातृदेवी अलखेश्वरी!
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courtesy: Google photo
श्री रूपा भवानी! श्री मातृदेवी अलखेश्वरी!
निवेदक--- चमन लाल रैना
है वो स्वयं शारिका देवी चेतन में
अवचेतन में भी स्थायी भाव में अवस्थित
एक शक्ति स्वरूपिणी योगिनी
शारिका स्वयमेव प्राग्वलित श्रेयस्करी
आत्मा में करती थी जो निवास
थी ऐसी भवानी क्षेमंकरी
साक्षात्कार में श्लोकदेवी रूपा भवानी
हमारी क्षणिक दृष्टि में भी समा गई।
अमृत कुण्ड से उपजी थी वो योगिनी
त्रिक रहस्य उपदेश वाग्वादिनी !
इंगित किरण, सुवर्ण जिसका प्रकरण
उनका जन्म एक प्रतीक था
अभ्योदय विवरण
और एक संकेत अब भी चेतन
रहस्य उपदेश का अनुसरण
शक्ति साधना में तल्लीन शब्द ,
दिव्या अवलोकन
बीजाक्षर शक्ति संपन्न है निमित्त ,
श्रीचक्र मेरु यंत्र उपासना सेआत्मसात प्रेरित
कूटस्थ भाव में देती है नव चेतना
मानवीय व्यक्तित्व है जीवन की अवधारणा
थी एक योगिनी,शक्ति तत्त्व की प्रेरणा
'मातृ हस्तेन भोजनं' की भांति देती दुलार
निश्चित मार्गों पर एक बनी थी
शिवतत्व के सर्वज्ञ स्वरूप को अभिन्न समझती
'ह्रीं' बीज से श्लोक प्रस्फुटित हुआ
जो अदृश्य सिद्धियों का नेतृत्व करता
चन्द्र कला के संबोधन से सँवारता
साहिबा सप्तमी की पुण्यतिथि पर झूमता
दिव्य ज्योति में स्वाहाकार
१४६ श्लोकों में रमी वाणी में उपहार
देता भक्तो को ॐ शब्द सद्विचार ।।
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