Wednesday, December 11, 2024

ीता जयंती

श्रीमद्भगवत् गीता जयंती के पावन अवसर पर (अंक -२) महाभारत में कुल तेरह गीताओं का उल्लेख है- शान्ति पर्व में दस , आश्वमेधिक पर्व में दो एवं भीष्म पर्व में एक गीता । भीष्म पर्व की गीता ही " भगवद्गीता " कहलाती है । श्री मद्भगवद्गीता की बहिरंग विशेषता - १. इसमें कुल १८ (अठारह) अध्याय हैं । २. इसमें कुल ७००(सात सौ) श्लोक हैं। ३. इसका प्रत्येक अध्याय ही एक योग है। यथा - कर्म योग , भक्ति योग, पुरुषोत्तम योग , विश्वरूपदर्शन योग आदि। ४. इसमें ४ (चार) ऐसे पात्र हैं, जिनके नाम के बाद ' उवाच ' लिखा हुआ है। शुरु में धृतराष्ट्र , फिर संजय , तत्पश्चात् अर्जुन और अंत में "भगवान " उवाच आया है। ५. पहला अध्याय धृतराष्ट्र उवाच से , दूसरा अध्याय संजय उवाच से , तीसरा अध्याय अर्जुन उवाच से तथा चौथा अध्याय श्रीभगवान उवाच से प्रारंभ होता है। ६. भगवत् गीता का प्रारंभ " धृतराष्ट्र उवाच " से हुआ है। धृतराष्ट्र ने केवल एक श्लोक ही कहा है। ७. धृतराष्ट्र से अधिक संजय ने , संजय से अधिक अर्जुन ने एवं सर्वाधिक श्लोक भगवान श्रीकृष्ण ने कहे हैं। ८. चार पात्रों में तीन पात्रों के ही नाम का उल्लेख हुआ है। चौथे पात्र श्रीकृष्ण के नाम के बदले श्रीभगवान उवाच का उल्लेख हुआ है। कुरुक्षेत्र के रंगमंच पर तीनों पात्र हैं , पर भगवान श्रीकृष्ण तो पात्र नहीं वरन् निर्देशक हैं। ९. गीता में एकमात्र पहला अध्याय ही ऐसा है , जिसका नामकरण एक पात्र-विशेष अर्जुन पर ही रखा गया है - अर्जुन विषाद योग। १०. श्रीमद्भगवद्गीता का अकेला ऐसा अध्याय - प्रथम अध्याय ही है, जिसमें सभी चारों ( धृतराष्ट्र , संजय , अर्जुन एवं भगवान श्रीकृष्ण) ने कहा है। ११. धृतराष्ट्र उवाच से आरंभ होनेवाले अध्याय की संख्या एक है - पहला। संजय उवाच से शुरु होने वाला अध्याय भी एक ही है- दूसरा अध्याय। अर्जुन उवाच से शुरु होनेवाले अध्याय सात हैं - ३,५,८,११,१२,१७, एवं १८ वां। श्रीभगवान उवाच से शुरु होनेवाले अध्याय नौ हैं - ४,६,७,९,१०,१३,१४,१५ एवं १६ वां‌ । १२. सर्वाधिक श्लोकों वाला अध्याय - १८वां है , जिसमें ७८ श्लोक हैं। न्यूनतम श्लोकों की संख्या-२० है ,जो १२ वें तथा १५ वें अध्याय में है। १३. सर्वाधिक " उवाच " लिखा जाने वाला अध्याय - ११ वां है, जिसमें ११ बार उवाच लिखा गया है - चार बार अर्जुन उवाच , चार बार श्री भगवानुवाच एवं तीन बार संजय उवाच। १४. प्रथम श्लोक धृतराष्ट्र ने तथा अंतिम श्लोक संजय ने कहा है। यह भी अद्भुत संयोग है कि भगवत् गीता का प्रारंभ और समापन दोनों पांडव पक्ष से नहीं बल्कि कौरव पक्ष से हुआ है। १५. गीता संस्कृत भाषा में वर्णिक छन्द में है। १६. गीता में दो संवाद हैं - धृतराष्ट्र-संजय संवाद एवं अर्जुन-भगवान संवाद। धृतराष्ट्र-संजय का संवाद हस्तिनापुर के राजमहल में हुआ था , जबकि भगवान श्री कृष्ण-अर्जुन का संवाद कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में हुआ था। १७. भगवान ने निरंतर सर्वाधिक कहा है - ७३(तिहत्तर) श्लोक। १२ वें अध्याय के दूसरे श्लोक से १४ वें अध्याय के बीसवें श्लोक तक (१९+३४+२०)। १८. भगवत् गीता का ११वां अध्याय चमत्कारी अध्याय है , जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने विश्वरूप का दिव्य दर्शन अपने भक्त अर्जुन को कराया था। मिथिलेश ओझा की ओर से आपको नमन एवं वंदन । ।। योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की जय।। ।। भगवत् गीता की जय ।।

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