घर में है तुलसी तो रखें यह ध्यान (Benefits of Tulsi Holy Basil )
यह तो हम सभी जानते हैं कि घर में तुलसी का होना कितनी अनिवार्य परंपरा मानी जाती है, इसलिए काफी लोग घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाते हैं। अगर आपके घर में भी तुलसी है तो शिवपुराण और पुरानी परंपराओं के अनुसार बताई गई तुलसी से जुड़ी कुछ अहम बातों का ज़रूर ध्यान रखें। तुलसी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। कई वैज्ञानिक शोध तुलसी में उपस्थित गुणों की पुष्टि करते हैं। भारत में पुरातन काल से ही तुलसी के औषधीय गुणों को काफी महत्ता दी जाती है। आइए जानें ऐसे ही कुछ गुणों के बारे में जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए। शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी स्वरूप माना गया है . इस अनमोल पौधे के कुल 5 प्रकार होतेे हैं, जो स्वास्थ्य से लेकर वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जानिए तुलसी के यह 5 प्रकार
1) श्याम तुलसी,
2) राम तुलसी,
3) श्वेत/विष्णु तुलसी,
4) वन तुलसी,
5) नींबू तुलसी
तुलसी के पांचों प्रकारों को मिलाकर इनका अर्क निकाला जाए, तो यह पूरे विश्व की सबसे प्रभावकारी और बेहतरीन दवा न सकती है। एक एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी – डिजीज की तह कार्य करने लगती है।
1. शिवपुराण की मानें तो तुलसी दैत्यों के राजा शंखचूड़ की पत्नी थी। वह शिव जी थे जिन्होंने शंखचूड़ का वध किया था। शंखचूड़ की पत्नी होने के कारण शिवलिंग पर कभी तुलसी का पौधा नहीं चढ़ाना चाहिए। अगर आप गलती से भी शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते चढ़ा देते हैं तो भगवान शिव नाराज़ हो जाते हैं।
2. जान लें कि आयुर्वेद में भी यह बात कही गई है कि तुलसी का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ध्यान इस बात का रखें कि आप तुलसी को कभी चबाए नहीं बल्कि निगल जाया करें क्योंकि तुलसी में पारा धातु पाई जाती है जो कि हमारे दांतों को नुकसान पहुंचाती है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं। तुलसी की कोमल पत्तियों को अदरक के साथ चबाने से खांसी-जुकाम से राहत मिलती है। तुलसी को चाय की पत्तियों के साथ उबालकर पीने से गले की खराश दूर हो जाती है।
श्वास संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी खासी उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से ब्रोंकाइटिस, दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है।
तुलसी की कुछ पत्तियों को रोजाना चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल के साथ मिलाकर दांतों को साफ करने से सांसों से दुर्गध नहीं आती है। दुर्गध नहीं आती है।
तुलसी किडनी को मजबूत बनाती है। किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसका अर्क बना लें। इस अर्क को शहद के साथ नियमित 6 महीने तक सेवन करने से पथरी यूरीन मार्ग से बाहर निकल जाती है।
3. जान लें कि तुलसी के पत्ते कभी भी एकादशी, रविवार, सूर्य या चंद्र ग्रहण में और रात के समय नहीं तोड़ना चाहिए। ध्यान रखें कि बिना किसी वजह के तुलसी का पौधा तोड़ना पाप माना गया है।
4. मान्यता यह भी है कि जिस घर के लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाते हैं और तुलसी की पूजा करते हैं उनके घर पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
5. वहीं वास्तु के अनुसार घर में तुलसी का पौधा लगाने से हर प्रकार के वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं। यही नहीं, परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी इसका शुभ असर होता है।
6. कहते हैं अगर तुलसी का पौधा घर में हो तो घर पर किसी की बुरी नज़र नहीं लगती है। साथ ही, घर के आसपास किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा नहीं पनप पाती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती ही चली जाती है।
7. आयुर्वेद की मानें तो तुलसी किसी संजीवनी बुटी से कम नहीं है। तुलसी की महक से आपकी सांस से संबंधित कई रोग ठीक हो सकते हैं। यही नहीं, तुलसी का एक पत्ता रोजाना खाने करने से आप सामान्य बुखार से हमेशा बचें रहेंगे। तुलसी में थाइमोल तत्व पाया जाता है, जो त्वचा रोगों को दूर करने में मददगार होता है। तुलसी और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाने से झाइयां व फुंसियां ठीक होती हैं। और साथ ही चेहरे की रंगत में निखार आता है।
तुलसी का काढ़ा पीने से सिरदर्द में आराम मिलता है। तुलसी के पत्तों के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह शाम लेने से 15 दिनों में अर्द्धकपाली जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
छोटी इलायची, अदरक का रस व तुलसी के पत्तों को समान मात्रा में मिलाकर लेने से उल्टी नहीं होती। दस्त लगने पर तुलसी के पत्ते भुने जीरे के साथ मिलाकर शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से लाभ मिलता है।
तुलसी में तनावरोधी गुण भी पाए जाते हैं। कई शोध तनाव में तुलसी के लाभ के बारे में पुष्टि कर चुके हैं। रोजाना तुलसी के 10-12 पत्तों का सेवन करने से मानसिक दक्षता और तनाव से लड़ने की आपकी क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।
आंखों की समस्या 'विटामिन ए' की कमी से होती है। तुलसी का रस आंखों की समस्याओं में अत्यंत लाभदायक होता है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए। हालांकि, आपको सलाह दी जाती है कि इस उपाय को आजमाने से पहले अपने नेत्र चिकित्सक से सलाह जरूर ले लें।
कान की समस्याओं जैसे कान बहना, दर्द होना और कम सुनाई देना आदि में तुलसी बहुत ही फायदेमंद होती है। तुलसी के रस में कपूर मिलाकर उसे हल्का गर्म करके कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फ़ायदा होता है।
8. सबसे अहम बात तुलसी की यह है कि इससे घर का वातावरण पवित्र और हानिकारक कीटाणुओं से मुक्त रहता है। बता दें कि इसी पवित्रता के कारण आपके घर में लक्ष्मी का वास होता है और साथ ही सुख-समृद्धि बनी रहती है।
9. शिवलिंग और गणेश पूजन में वर्जित है तुलसी के पत्ते-
यूँ तो पूजन में तुलसी का विशेष महत्तव है पर शिव पूजन और गणेश पूजन में तुलसी का प्रयोग वर्जित है। इसके लिए पुराणो में दो कथा बताई गई है। एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति दैत्यों के राजा शंखचूड़ का वध किया था, जिसके फलस्वरूप न तो शिव पूजन में तुलसी काम में लेते है और नाहि शंख से शिवलिंग पर जल चढ़ाते है। जबकि एक अन्य कथा के अनुसार एक बार गणेशजी ने तुलसी का विवाह प्रस्ताव यह कह कर अस्वीकार कर दिया की वो ब्रह्मचारी है जिससे रुष्ट होकर तुलसी ने उन्हें दो विवाह का श्राप दे दिया, प्रतिक्रिया स्वरुप गणेश जी ने तुलसी को एक राक्षस से विवाह का श्राप दे दिया। इसलिए गणेश पूजन में भी तुलसी का प्रयोग वर्जित है .
POSTED BY : VIPUL KOUL
SOURCES : GIVEN AND GITA PRESS BOOK NAMELY TULSI AND DARADTA DEVI
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