Kumbh Special 2019: आप क्या आप जानते हैं तिब्बत में भी लगा था कुंभ मेला
कामा मैकलेन की किताब पिलग्रिमेज एंड पावर में इस बात का जिक्र है.
हर 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ का आयोजन होता है.
देश में चार जगह कुंभ मेले का
आयोजन होता है- हरिद्वार कुंभ मेला, इलाहाबाद कुंभ मेला,
नासिक-त्रियंबकेश्वर सिंहस्थ कुंभ और उज्जैन सिंहस्थ.
कुंभ का आयोजन बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा ग्रहों की एक विशेष स्थिति में किया जाता है.
कहा जाता है कि सागर मंथन के
दौरान निकले अमृत कलश से कुछ अमृत की बूंदें उन जगहों पर गिर गई थीं, जहां
पर कुंभ का आयोजन होता है. माना जाता है कि जिस वक्त कुंभ का आयोजन होता
है, उस वक्त यहां की नदियों का जल अमृत में बदल जाता है और इसमें स्नान
करने से मुक्ति मिल जाती है.
इसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक
उत्सव के तौर पर जाना जाता है. इस बार के इलाहाबाद कुंभ में एक आंकड़े के
दौरान करीब एक ही दिन 1.5 करोड़ लोगों ने एक साथ संगम में डुबकी लगाई.
कुंभ में अब की सबसे बड़ी ज्ञात दुर्घटना 1820 में हुई थी. जब कुंभ में बड़ी भगदड़ मच गई थी. इस दौरान यहां पर 430 लोग मारे गए थे.
शायद कम ही लोग जानते होंगे कि
कुंभ मेले का आयोजन तिब्बत में भी किया गया है. कामा मैकलेन की किताब
पिलग्रिमेज एंड पावर में इस बात का जिक्र है. इस किताब में 1765 से 1954 के
कुंभ मेलों का जिक्र है.
2013 के कुंभ मेले के लिए 14
टेम्पोरेरी हॉस्पिटल जिनमें 243 डॉक्टर थे और 40,000 से ज्यादा ट्वायलेट्स
का इंतजाम किया गया था. इसके अलावा यहां पर 50 हजार पुलिस अधिकारियों की
व्यवस्था की गई थी ताकि व्यवस्था स्थापित की जा सके.
2013 कुंभ के आंकड़ों के दौरान
इसके चलते 6 लाख 50 हज़ार अस्थाई रोजगारों का सृजन हुआ था और यहां पर 12
हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था.
कहा जाता है कि यह करीब 2,000
साल पुराना उत्सव है. कुंभ मेले के सबसे पहले लिखित साक्ष्य चीनी यात्री
ह्वेनसांग के वर्णनों में मिलता है. जो राजा हर्षवर्धन के समय में भारत आया
था.
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