Tuesday, March 16, 2021

भैरोनाथ मंदिर और साधुओं की ध्यान गुफाएं

भैरोनाथ मंदिर और साधुओं की ध्यान गुफाएं


केदारनाथ मंदिर के दर्शन के बाद अक्सर श्रद्धालु भैरोनाथ मंदिर के दर्शन करने जाते हैं। मुख्य मंदिर के भैरोनाथ की दूरी तकरीबन एक किलोमीटर है। मंदिर तक जाने के लिए सीधी चढ़ाई है। पर रास्ता अच्छा बना हुआ है। मंदाकिनी नदी के पुल को पार करके भैरोनाथ के लिए चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। भैरोनाथ को केदारनाथ क्षेत्र का क्षेत्रपाल देवता माना जाता है। हर साल केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने से पहले भैरोनाथ की पूजा की जाती है। साल के छह महीने जब केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद रहते हैं तो भैरवनाथ ही केदारघाटी की सुरक्षा करते हैं। इसलिए वे केदारघाटी के संरक्षक हैं। 

साल 2013 में आई भीषण आपदा में भैरोनाथ मंदिर को बिल्कुल हानि नहीं पहुंची। भैरोनाथ मंदिर में जो मूर्तियां स्थापित की गई हैं उनके ऊपर कोई छत नहीं है। यह एक खुला हुआ मंदिर है।
भैरोनाथ का मंदिर के दर्शनकेदारनाथ मंदिर के दर्शन के बाद दोपहर में हमलोग भैरोनाथ के मंदिर के दर्शन के लिए चल पड़े। मंदिर तक पहुंचने में आधे घंटे का वक्त लगा होगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीधी चढ़ाई है। जब आप केदारनाथ तक पदयात्रा करके आ गए हैं तो भैरोनाथ जाना कोई मुश्किल काम नहीं है। हालांकि केदारनाथ आने वाले सारे लोग भैरोनाथ के मंदिर तक नहीं जाते हैं।  


केदारघाटी का अदभुत नजारा - भैरोनाथ मंदिर की ऊंचाई से पूरी केदारघाटी का सुंदर नजारा दिखाई देता है। यहां से बाबा केदार के मंदिर में दर्शन करते श्रद्धालु। हेलीपैड से बार-बार उड़ान भरते और उतरते हुए हेलीकॉप्टर दिखाई देते हैं। जब आप मंदिर की ऊंचाई पर पहुंचते हैं तो वहां से जल्दी उतरने की इच्छा नहीं होती। हल्की बारिश और बादलों के बीच हमारी भैरोनाथ मंदिर तक की यात्रा यादगार रही। थोड़ा वक्त वहां गुजराने के बाद हमलोग उतरने लगे। उतरते हुए कानपुर वाले अग्निहोत्री जी एक बार फिर मिल गए। 

संत रामानंद का आश्रम – केदारनाथ मंदिर से चार किलोमीटर की दूरी पर गरुड़ चट्टी के पास संत रामानंद का आश्रम है। इस स्थल को हनुमान गुफा भी कहते हैं। हमें स्थानीय साधुओं ने बताया कि मंदिर के कपाट बंद होने के बाद बर्फबारी में भी संत रामानंद का आश्रम गुलजार रहता है। यहां से साधु लोग कहीं नहीं जाते। संत रामानंद के आश्रम में हर मौसम में रहने योग्य सुविधाएं मौजूद हैं। दरअसल केदारनाथ पदयात्रा का पुराना मार्ग गरुड़ चट्टी से ही होकर आता था। अब आपको संत के आश्रम तक जाने के लिए पुराना रास्ता अपनाना पड़ेगा।  

रामानंद आश्रम की अपनी गौशाला है। यहां तक कि आश्रम का पास अपना पनबिजली प्लांट भी है। वे पांच किलोवाट बिजली खुद बना लेते हैं।   
आश्रम के पास ही हनुमान गुफा भी है। जो कभी केदारनाथ आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण के केंद्र हुआ करती थी। केदारनाथ मंदिर से गरुड चट्टी होते हुए लिंचोली का वैकल्पिक मार्ग हुआ करता था। पर आपदा के बाद ये मार्ग नाममात्र का रह गया है।





साधुओं की ध्यान गुफाएं – केदारनाथ क्षेत्र में कई ध्यान गुफाएं बनी हुई हैं। इन गुफाओं में साधु लोग ध्यान करते हैं। कई गुफाओं के बारे में तो आमलोगों को मालूम भी नहीं है। कई साधु हनुमान गुफा में भी ध्यान लगाते हैं। अभी हाल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर केदारनाथ में ध्यान गुफा का निर्माण कराया गया है। इसमें ध्यान करने के लिए ऑनलाइन बुकिंग होती है। ध्यान करने का शुल्क भी रखा गया है।



पर ध्यान करने के लिए वास्तव में किसी गुफा का होना जरूरी है क्या। आप चाहे जहां चाहें ध्यान लगा सकते हैं। दिन भर बाबा केदारनाथ धाम में इधर उधर घूमने के बाद रात्रि भोजन के बाद अब सोने की बारी थी। पर मेरी आंखों में नींद नहीं है। नींद न आने पर मैंने मोबाइल में हेडफोन लगाकर अपने पसंद के पुराने शास्त्रीय गीतों को सुनना शुरू कर दिया। दो घंटे संगीत सुनने के बाद नींद तो आ गई। 

पर बमुश्किल दो घंटे सोने के बाद सुबह के तीन बजे फिर नींद खुल गई।  मैं अपने बिस्तर पर ही बैठकर ध्यान करने लगा। एक घंटे ध्यान और प्राणयाम करने के बाद सुबह होने वाली है तो अब मैंने अपने साथियों को जगाया। केदारघाटी में रात भर हल्की बारिश हुई थी। पर सुबह में यह बारिश रुक गई है। तारीख के हिसाब से देखें तो केदारनाथ मंदिर परिसर में हमारा तीसरा दिन है। इस ब्रह्मवेला में हम एक बार फिर केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर रहे हैं।    
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com  
(KEDARNATH TEMPLE, BHAIRONATH TEMPLE, SANT RAMANAND ASHRAM, KEDAR 14 ) 
श्री केदारनाथ मंदिर - सुबह सुबह 

 

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