Friday, February 28, 2025

कश्मीरी शैव संप्रदाय

कश्मीर शैव मत दार्शनिक दृष्टि से अद्वैतवादी है। अद्वैत वेदान्त और काश्मीर शैव मत में साम्प्रदायिक अन्तर इतना है कि अद्वैतवाद का ब्रह्म निष्क्रिय है किन्तु कश्मीर शैवमत का ब्रह्म(परमेश्वर) कर्तृत्वसम्पन्न है। अद्वैतवाद में ज्ञान की प्रधानता है,उसके साथ भक्ति का सामञ्जस्य पूरा नहीं बैठता; कश्मीर शैवमत में ज्ञान और भक्ति का सुन्दर समवन्य है। अद्वैतवाद वेदान्त में जगत ब्रह्म का विवर्त (भ्रम) है। कश्मीर शैवमत में जगत ब्रह्म का स्वातन्त्र्य अथवा आभास है। कश्मीर शैव की दो प्रमुख शाखाऐं हैं– स्पन्द शास्त्र और प्रत्यभिज्ञा शास्त्र। पहली शाखा के मुख्य ग्रन्थ ‘शिव दृष्टि’ (सोमानन्द कृत), ‘ईश्वरप्रत्यभिज्ञाकारिका’ , ईश्वरप्र्त्यभिज्ञाकारिकाविमर्शिनी’ और(अभिनवगुप्त रचित) ‘तन्त्रालोक’ हैं। दोनों शाखाओं में कोई तात्त्विक भेद नहीं है; केवल मार्ग का भेद है। स्पन्द शास्त्र में ईश्वराद्वय्की अनुभूति का मार्ग ईश्वरदर्शन और उसके द्वारा मलनिवारण है। प्रत्यभिज्ञाशास्त्र में ईश्वर के रूप में अपनी प्रत्यभिज्ञा (पुनरनुभूति) ही वह मार्ग है। इन दोनों शाखाओं के दर्शन को ‘त्रिकदर्शन’ अथवा ईश्वराद्वयवाद’ कहा जाता है। 'प्रतिभिज्ञा' शब्द का तात्पर्य है कि 'साधक अपनी पूर्व ज्ञात वस्तु को पुन: जान ले'। इस अवस्था में साधक को अनिवर्चनीय आनन्द की अनुभूति होती है। वे अद्वैतभाव में द्वैतभाव और निर्गुण में भी सगुण की कल्पना कर लेते थे। उन्होंने मोक्ष की प्राप्ति के लिए कोरे ज्ञान और निरीभक्ति को असमर्थ बतलाया। दोनों का समन्वय ही मोक्ष प्राप्ति करा सकता है। यद्यपि शुद्ध भक्ति बिना द्वैतभाव के संभव नहीं है और द्वैतभाव अज्ञान मूलक है, किन्तु ज्ञान प्राप्त कर लेने पर जब द्वैत मूलक भाव की कल्पना कर ली जाती है, तब उससे किसी प्रकार की हानि की संभावना नहीं रहती। इस प्रकार इस सम्प्रदाय में कतिपय ऐसे भी साधक थे, जो योग-क्रिया द्वारा रहस्य का वास्तविक पता लगाना चाहते थे। क्योंकि उनका विचार था कि योग-क्रिया से माया के आवरण को समाप्त किया जा सकता है और इस दशा में ही मोक्ष की सिद्धि सम्भव है। कश्मीर को शैव संप्रदाय का गढ़ माना गया है। वसुगुप्त ने 9वीं शताब्दी के उतरार्ध में कश्मीरी शैव संप्रदाय का गठन किया। इससे पूर्व यहां बौद्ध और नाथ संप्रदाय के कई मठ थे।वसुगुप्त के दो शिष्य थे कल्लट और सोमानंद। इन दोनों ने ही शैव दर्शन की नई नींव रखी

Thursday, February 27, 2025

istorically, Kashmiri Pandits

A interesting question! Historically, Kashmiri Pandits, a Hindu community from Kashmir, were traditionally lacto-vegetarians. They followed a diet that excluded meat, fish, and eggs, but included dairy products. The shift towards meat consumption among Kashmiri Pandits is believed to have occurred during the Afghan rule in Kashmir (1752-1819) and the subsequent Sikh rule (1819-1846). During this period, many Kashmiri Pandits were influenced by the meat-eating habits of their Muslim rulers and adopted similar dietary practices. However, it's essential to note that not all Kashmiri Pandits started eating meat during this period. Many continued to follow their traditional lacto-vegetarian diet. It wasn't until the late 19th and early 20th centuries, when Kashmiri Pandits began to migrate to other parts of India, such as Punjab and Delhi, that meat consumption became more widespread within the community. Today, while some Kashmiri Pandits continue to follow a vegetarian diet, many others have adopted a non-vegetarian diet that includes meat, fish, and eggs. SALAM A fascinating story! The introduction of Salam (also known as Salami or Salami Demi) in Kashmir on Shivratri is attributed to the influence of Muslim Sufi saints and the cultural exchange between Hindus and Muslims in the region. According to local legend, during the reign of Sultan Zain-ul-Abidin (also known as Budshah) in the 15th century, Kashmiri Pandits and Muslims would often gather at the famous Shankaracharya Temple in Srinagar on Shivratri. The temple, dedicated to Lord Shiva, is situated on a hill overlooking the city. To promote communal harmony and celebrate the occasion together, the Muslim Sufi saints, who had a significant influence on the region's culture, introduced a special dish called Salam. It's believed that the Salam was prepared by the Muslim cooks using meat and spices, which was then shared with the Hindu community as a gesture of goodwill and friendship. Over time, the tradition of sharing Salam on Shivratri became an integral part of Kashmiri culture, symbolizing the communal harmony and brotherhood between Hindus and Muslims in the region. Even today, on Shivratri, many Kashmiri Pandits and Muslims gather at the Shankaracharya Temple and other locations to share Salam and celebrate the occasion together, reflecting the region's rich cultural heritage and traditions of communal harmony. Before the advent of Islam in Kashmir, the festival of Shivratri was celebrated by Kashmiri Pandits, and it's believed that the dish "Salam" was actually a modified version of a traditional Kashmiri dish called "Shiv Sala" or "Shiv Salam". However, some sources suggest that the dish "Salam" was actually a variation of the traditional Kashmiri dish "Shiv Bal" or "Shiv Balaa", which was a sweet dish made with rice, milk, and nuts. It's also possible that the dish "Salam" was influenced by the traditional Kashmiri dish "Shiv Shala" or "Shiv Shalaa", which was a ritualistic dish made with rice, meat, and spices, offered to Lord Shiva during the Shivratri celebrations. While I couldn't find a definitive answer, it's clear that the dish "Salam" has its roots in traditional Kashmiri cuisine and was likely influenced by the region's pre-Islamic culinary traditions. Before the advent of Islam in Kashmir, the festival of Shivratri was celebrated by Kashmiri Pandits, and it's believed that the dish "Salam" was actually a modified version of a traditional Kashmiri dish called "Shiv Sala" or "Shiv Salam". However, some sources suggest that the dish "Salam" was actually a variation of the traditional Kashmiri dish "Shiv Bal" or "Shiv Balaa", which was a sweet dish made with rice, milk, and nuts. It's also possible that the dish "Salam" was influenced by the traditional Kashmiri dish "Shiv Shala" or "Shiv Shalaa", which was a ritualistic dish made with rice, meat, and spices, offered to Lord Shiva during the Shivratri celebrations. While I couldn't find a definitive answer, it's clear that the dish "Salam" has its roots in traditional Kashmiri cuisine and was likely influenced by the region's pre-Islamic culinary traditions.

Sunday, January 12, 2025

!! जनेऊ का चमत्कार !!

!! जनेऊ का चमत्कार !! मुझे उच्च रक्तचाप था विशेषज्ञ को दिखाया उन्होंने जांच करके दवा लिख दी 4 दिन दवाखाने के बाद भी रक्तचाप कम नहीं हुआ पुनः संपर्क करने पर उन्हें एक दवा और बढ़ा दी फिर भी चलता रहा, उसी मेरे एक मित्र ने फोन करके समाचार पूछे तो उन्हें स्थिति बताई तब उन्होंने कहा कि आप जनेऊ को किसी भी कान में 15 मिनिट लपेटकर रखिए और फिर BP नाप लीजिए मैने वैसा ही किया और फिर BP चैक किया तो जैसे चमत्कार हो गया 145/90 हो गया। आज समझ में आया कि हमारे पूर्वज क्यों सभी को जनेऊ धारण करने को कहते थे और क्यों तब उच्च रक्तचाप रोग नहीं होता था। धन्य है सनातन को। मुझे उच्च रक्तचाप था विशेषज्ञ को दिखाया उन्होंने जांच करके दवा लिख दी 4 दिन दवाखाने के बाद भी रक्तचाप कम नहीं हुआ पुनः संपर्क करने पर उन्हें एक दवा और बढ़ा दी फिर भी चलता रहा, उसी मेरे एक मित्र ने फोन करके समाचार पूछे तो उन्हें स्थिति बताई तब उन्होंने कहा कि आप जनेऊ को किसी भी कान में 15 मिनिट लपेटकर रखिए और फिर BP नाप लीजिए मैने वैसा ही किया और फिर BP चैक किया तो जैसे चमत्कार हो गया 145/90 हो गया। आज समझ में आया कि हमारे पूर्वज क्यों सभी को जनेऊ धारण करने को कहते थे और क्यों तब उच्च रक्तचाप रोग नहीं होता था। धन्य है सनातन को।

अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार जानिए किस क्षेत्र में होंगे आप सफल

🌿🌼 अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार जानिए किस क्षेत्र में होंगे आप सफल 1. अश्विनी नक्षत्र अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग अगर यातायात से जुड़ा कोई कार्य करेंगे तो उन्हें सफलता मिलेगी। इसके अलावा खेल, दवाइयां, कृषि, जिम, जौहरी, सुनार आदि से संबंधित क्षेत्र भी फायदा पहुंचाएंगे। 2. भरणी नक्षत्र भरणी नक्षत्र में जन्मे जातकों को जन्म देने वाली दाई, गृह सेवक, शवगृह अधिकारी, दाह-संस्कार से संबंधित कार्य करने चाहिए। वे बच्चों का ध्यान रखने वाले या नर्सरी स्कूल के अध्यापक के तौर पर भी कार्य कर सकते हैं। तम्बाकू, कॉफी, चाय से जुड़े क्षेत्र भी लाभ पहुंचाएंगे। 3. कृत्तिका नक्षत्र कृत्तिका नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग ऐसे क्षेत्र में सफल हो सकते हैं, जो नुकीली चीज या तेज धार से जुड़े हों। आप चाकू, तलवार के निर्माण से जुड़ सकते हैं या फिर अच्छे लोहार या वकील भी साबित हो सकते हैं। अगर आप ऐसे किसी कार्य से जुड़ते हैं जिसके अनुसार नशे के आदी लोगों को सुधारा जाता है तो अवश्य सफलता मिलेगी। 4. रोहिणी नक्षत्र रोहिणी नक्षत्र से संबंधित लोग खानपान के कार्य से जुड़ेंगे तो सफलता मिलेगी। खाना बनाना हो या फिर बांटना, ये कार्य आपके लिए उत्तम हैं। इसके अलावा कला का क्षेत्र भी आपके लिए है। आप अच्छे कलाकार, गायक, संगीतकार भी हो सकते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोग रचनात्मक होते हैं। 5. मृगशिरा नक्षत्र यात्रा से जुड़े कार्य में अगर आप संलग्न हैं तो आपको अवश्य ही सफलता मिलेगी। इसके अलावा शिक्षा, खगोलशास्त्र, पैसे का हिसाब-किताब रखना, ये सभी क्षेत्र भी आपको लाभ दिलवाएंगे। कपड़े के काम में लिप्त लोगों को भी लाभ मिलेगा। 6. आर्द्रा नक्षत्र बिजली के उपकरण या बिजली से संबंधित कोई अन्य कार्य करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। कम्प्यूटर, तकनीक, गणित, वैज्ञानिक, गैमिंग आदि से संबंधित क्षेत्र आपके लिए हैं। इसके अलावा डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ का काम भी आपको सूट करेगा। अगर आप जासूस हैं या रहस्य सुलझाने जैसे कार्य कर रहे हैं तो भी आपको सफलता मिलेगी। 7. पुनर्वसु नक्षत्र काल्पनिक कहानियां लिखने या खरीदने-बेचने से संबंधित कोई कार्य करना, ये आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। यात्रा और रखरखाव से संबंधित कार्य भी आप कर सकते हैं। अगर आप होटल मैनेजमेंट में कार्यरत हैं या फिर दीक्षा देने का काम करते हैं तो आपको फायदा मिलेगा। इतिहासकार या भेड़-बकरियों को पालने वाले लोग भी सफलता प्राप्त करेंगे। 8. पुष्य नक्षत्र दूध से संबंधित व्यापार करने वाले लोग सफलता प्राप्त करेंगे। कैटरिंग करने वाले और होटल चलाने वाले लोग भी अच्छे व्यवसाय में हैं। नेता, शासक, धार्मिक कार्य करने वाले लोग, शिक्षक और अध्यापक आदि लोग लाभ प्राप्त करते हैं। 9. आश्लेषा नक्षत्र पेट्रोलियम, सिगरेट, कानूनी, दवाइयों से संबंधित इंडस्ट्री से जुड़े लोग अवश्य लाभ प्राप्त करेंगे। इस नक्षत्र में जन्मे लोग तांत्रिक, सांप का जहर, बिल्ली पालने वाले, सीक्रेट सर्विस करने वाले, मनोवैज्ञानिक होते हैं। ये पोंगे पंडित और आत्माओं को बुलाने वाले भी होते हैं। 10. मघा नक्षत्र इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग शाही तो नहीं होते लेकिन उनका शाही घरानों से सीधा संपर्क रहता है। वे उनके मैनेजर भी हो सकते हैं और महत्वपूर्ण कर्मचारी भी। इसके अलावा सरकार के अधीन बड़े पदों में काम करने वाले, बड़े वकील, जज, नेता, वक्ता, ज्योतिष, पुरातत्व वैज्ञानिक भी इसी नक्षत्र में जन्म लेने वाले होते हैं। 11. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र इस नक्षत्र में जन्मे लोग अगर महिलाओं से संबंधित सामान या बहुमूल्य रत्नों का व्यापार करते हैं तो उन्हें अवश्य ही सफलता मिलती है। ब्यूटीशियन, गायक, घर की साज-सज्जा या अन्य रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े लोग अवश्य ही सफलता प्राप्त करते हैं। विवाह से संबंधित हर करियर भी आप ही के लिए हैं। 12. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र मनोरंजन, खेल और कला से संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग अवश्य ही सफलता प्राप्त करते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे धार्मिक संस्थानों के मुखिया या पुजारी, परोपकार करने वाले, दान-पुण्य के कार्य से जुड़े, शादी-विवाह से संबंधित सलाह देने वाले या अंतरराष्ट्रीय मसलों से संबंधित लोग भी सफलता प्राप्त करते हैं। 13. हस्त नक्षत्र गहने बनाने वाले लोग, सेहत से संबंधित कार्य करने वाले, हास्य कलाकार, काल्पनिक कहानियां लिखने वाले, उपन्यासकार, रेडियो या टेलीविजन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का संबंध अगर हस्त नक्षत्र से है तो उन्हें अवश्य ही सफलता मिलती है। 14. चित्रा नक्षत्र अपना बिजनेस चलाने वाले, घर की साज-सज्जा, गहने बनाने, फैशन डिजाइनर, मॉडल्स, कॉस्मेटिक, वास्तु-फेंगशुई, ग्राफिक आर्टिस्ट, सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, स्टेज आर्टिस्ट, गायक, इन क्षेत्रों में कार्यरत लोग सफलता प्राप्त अवश्य करते हैं। 15. स्वाति नक्षत्र व्यवसाय चलाने वाले, गायक, वाद्य यंत्र बजाने वाले, अध्ययन कार्य में संलिप्त, स्वतंत्र कार्य करने वाले, सामाजिक सेवा में लिप्त लोग सफल होते हैं। इसके अलावा न्यूज रीडर, कम्प्यूटर्स और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग सफलता पाते हैं। 16. विशाखा नक्षत्र शराब, फैशन, कला और साथ ही बोलने संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले ओग सफलता हासिल करते हैं। इसके अलावा सफल राजनेता, खिलाड़ी, धार्मिक नेता, नर्तक, सैनिक, आलोचक, अपराधियों का संबंध भी इसी नक्षत्र से है। 17. अनुराधा नक्षत्र सम्मोहन क्रिया में लिप्त, ज्योतिष शास्त्री, सिनेमा संबंधित क्षेत्र, फोटोग्राफर, फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर, औद्योगिक क्षेत्र से संबंधित, वैज्ञानिक, गणितज्ञ, डेटा एक्सपर्ट, अंकशास्त्र विशेषज्ञ, खदानों में काम करने वाले, विदेश व्यापार से संबंधित लोग सफलता प्राप्त करते हैं। 18. ज्येष्ठा नक्षत्र नीति निर्माण से संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग, सरकारी अधिकारी, रिपोर्टर्स, रेडियो जॉकी, न्यूज रीडर, टॉक शो होस्ट, वक्ता, काला जादू करने वाले, जासूस, माफिया, सर्जन, हस्त कारीगर, एथलीट्स आदि क्षेत्रों से संबंधित लोग सफलता प्राप्त करते हैं। 19. मूल नक्षत्र इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के लिए दवाइयों से संबंधित क्षेत्र, न्याय, जासूसी, रक्षा, अध्ययन जैसे कार्य सफलता दिलवाएंगे। इसके अलावा वक्ता, सार्वजनिक नेता, सब्जियों के व्यापारी, अंगरक्षक, मल्लयुद्ध करने वाले, गणितज्ञ, सोने की खदान में काम करने वाले, घुड़सवार भी सफल होते हैं। 20. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र शिप संबंधी उद्योग में काम करने वाले प्रेरण, अध्यापक, भाषण देने वाले, फैशन एक्सपर्ट्स, कच्चे सामान का विक्रय करने वाले, बालों की सजावट देखने वाले, तरल पदार्थों का कार्य करने वाले लोग सफलता प्राप्त करते हैं। 21. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ज्योतिष, वकील, सरकारी अधिकारी, सेना में कार्यरत, अध्ययनकर्ता, सुरक्षा कार्य, व्यापारी, प्रबंधक, क्रिकेट खिलाड़ी, राजनेता और उत्तरदायित्व निभाने वाले कार्यों को करने वाले लोग सफल होते हैं। 22. श्रवण नक्षत्र किसी भी क्षेत्र में काम करने वाले अध्यापक, वक्ता, बौद्धिक, छात्र, भाषाविद, कहानीकार, हास्य अभिनेता, गायन से संबंधित क्षेत्र से जुड़े लोग, टेलीफोन ऑपरेटर्स, मनोवैज्ञानिक, यातायात से संबंधित क्षेत्र में कार्यरत लोग सफलतम होते हैं। 23. धनिष्ठा नक्षत्र गायन, वादन, नृत्य, म्यूजिक बैंड इन सबसे संबंधित क्षेत्र के लोग सफलता पाते हैं। इसके अलावा मनोरंजन उद्योग, रचनात्मक क्षेत्र, कवि, ज्योतिष शास्त्री, प्रेत आत्माओं को बुलाने वाले लोग सफलता हासिल करते हैं। 24. शतभिषा नक्षत्र ड्रग्स या दवाइयों से संबंधित क्षेत्र में काम करने वाले लोग सफलता प्राप्त करते हैं। सर्जन, मदिरा से जुड़े क्षेत्रों में कार्यरत लोग भी सफलता पाते हैं। 25. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र मृत्यु से संबंधित किसी भी व्यवसाय से जुड़े लोग सफल होते हैं। कॉफिन बनाने वाले, कब्र खोदने वाले, अंतिम संस्कार से संबंधित सामान का व्यापार करने वाले सफलता पाते हैं। इसके साथ-साथ आतंकवादी, हथियार बनाने वाले, काला जादू करने वाले लोग भी सफलता पाते हैं। 26. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र योग और ध्यान से संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत लोग सफलता प्राप्त करते हैं। तंत्र-मंत्र करने वाले और रूहानी ताकतों से संपर्क स्थापित करने वाले लोगों को सफलता अवश्य मिलती है। इसके अलावा दान-पुण्य करने वाले लोग भी सफल होते हैं। 27. रेवती नक्षत्र सम्मोहन क्रिया करने वाले लोग, जादूगर, गायक, कलाकार, आर्टिस्ट, हास्य कलाकार, मनोरंजन करने वाले, कंस्ट्रक्शन बिजनेस से जुड़े लोग सफलता पाते हैं। धार्मिक संस्थानों में कार्यरत लोग भी सफल होते हैं