Sunday, July 6, 2025

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित कल्याण विशेषांक अत्यंत शोधपूर्ण, प्रामाणिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध है। कल्याण विशेषांक की परंपरा में यह "गणेश अंक" कल्याण मासिक पत्रिका का विशेषांक है। - "गणेश अंक" एक कल्याण विशेषांक है, जो भगवान श्री गणेश के जीवन, स्वरूप, लीलाओं, पूजा पद्धति एवं आध्यात्मिक महत्त्व, संस्कृत श्लोकों सहित हिन्दी व्याख्या, चित्रों एवं रेखाचित्रों से सुसज्जित, गूढ़ विषयों का सरल भाषा में प्रस्तुतीकरण, संतों एवं विद्वानों के प्राचीन एवं प्रामाणिक ग्रंथों के उद्धरणों को समर्पित है। "गणेश अंक" का उद्देश्य भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों, उनके प्रतीकात्मक अर्थों एवं उनके प्रति भक्ति की परंपराओं को विस्तार से प्रस्तुत करना है। गीता प्रेस की परंपरा के अनुरूप यह अंक शास्त्र सम्मत, प्रामाणिक एवं सरल भाषा में लिखा गया है, ताकि हर वर्ग का पाठक इससे लाभान्वित हो सके। भगवान श्री गणेश जी का परिचय:- गणेश जी का जन्म, उनके माता-पिता (शिव-पार्वती) से संबंध, पार्वती जी द्वारा मिट्टी से गणेश जी की रचना, शिव जी द्वारा उनका सिर काटकर उस पर हाथी का सिर लगाना, उनके चार हाथ, बड़ा सिर, लंबोदर और वाहन मूषक, उनके दो मुख्य रूप वक्रतुंड और एकदंत, उनके वाहन मूषक का प्रतीकात्मक अर्थ। श्री गणेश जी की लीलाएं और कथाएं:- वेदों और पुराणों में वर्णित गणेश जी की महिमा, महाभारत लिखने में वेदव्यास जी के साथ उनकी भूमिका, कार्तिकेय और गणेश के बीच पृथ्वी के घूमने की कथा, शनि की दृष्टि से गणेश जी के बचने की कथा। गणेश पूजा और साधना विधि:- गणेश चतुर्थी व्रत की महिमा, पूजा विधि और इसका महत्व, गणपति अथर्वशीर्ष, गणेश स्तोत्र, गणेश गायत्री मंत्र, दैनिक पूजा, ध्यान और आराधना, नियम, विधि और आरती की अन्य स्तुति। गणेश जी के दार्शनिक, योगिक एवं आध्यात्मिक पहलू:- उन्हें विघ्नहर्ता एवं सिद्धिदाता क्यों माना जाता है, उनके शरीर के अंगों का प्रतीकात्मक अर्थ (बड़ा सिर = विवेक, बड़े कान = श्रवण शक्ति आदि), योग एवं वेदांत में गणेश तत्व का स्थान, गणेश जी मूलाधार चक्र में स्थित हैं, योग साधना में उनका विशेष स्थान है, उन्हें त्रिगुणातीत, अवस्थातीत एवं कालत्रयतीत माना जाता है, वे सच्चिदानंद स्वरूप ब्रह्म के प्रतीक हैं। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक योगदान:- संतों, कवियों एवं भक्तों द्वारा रचित गणेश भजन एवं कविताएं, तुलसीदास, समर्थ रामदास, संत एकनाथ आदि द्वारा गणेश भक्ति, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में गणेश जी की पूजा परंपराएं, लोककथाओं, मूर्तिकला एवं चित्रकला में गणेश जी का स्थान। भारत के विभिन्न राज्यों में गणेश उत्सव की विविधता, महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा, आधुनिक विद्वानों द्वारा गणेश तत्व पर चर्चा, भक्तों के अनुभव और चमत्कार की कहानियाँ... "गणेश अंक" केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है जो पाठक को भगवान गणेश के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार, भक्ति और ज्ञान की ओर प्रेरित करती है। यह अंक उन सभी के लिए अवश्य पढ़ा जाना चाहिए जो गणेश तत्व को गहराई से समझना चाहते हैं। धन्यवाद....!! सुरेन्द्र रघुवंशी, भोपाल

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