राम
भगवान् सदा-सर्वदा हमारे साथ हैं, उनका विछोह कभी भी किसी भी अवस्थामें
हमसे हो नहीं सकता। हम नरकके कीड़े बनकर नरक-यन्त्रणा भोगनेके लिये जाँय तो
भी भगवान् हमारे साथ रहते हैं—इस सत्य पर विश्वास करके सदा-सर्वदा भगवान्
को अपने साथ अनुभव करें और निश्चिन्त रहें।

*सत्संग वाटिकाके बिखरे सुमन*
सुखी होना अपने हाथ, दुःखी होना अपने हाथ; पर वस्तुका मिलना या परिस्थितिका परिवर्तन होना अपने हाथ नहीं।
*- परम श्रद्धेय "भाईजी” श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार*
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