तनोट माता मंदिर- 1965 में पाकिस्तान ने यहां ने गिराए थे हजारों बम, देवी करती हैं भक्तों की रक्षा ........By daily Bhaskar
राजस्थान के जैसलमेर के पास ही स्थित है भारत और पाकिस्तान की बार्डर। यहां देवी मां का एक मंदिर है। मंदिर में तनोट राय माता की प्रतिमा स्थापित है। यहां मान्यता है कि ये माताजी बलूचिस्तान स्थित माता हिंगलाज का ही रूप हैं। यहां देवी के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वही पुण्य मिलता है जो माता हिंगलाज मंदिर में दर्शन से मिलता है। तनोट माता भारतीय सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी हैं। सेना के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। यहां जानिए तनोत माता मंदिर से जुड़ी खास बातें...
क्या है मंदिर का इतिहास
- इस मंदिर परिसर में लगे शिलालेख के अनुसार जैसलमेर क्षेत्र के निवासी मामडियांजी की पहली संतान के रूप में विक्रम संवत् 808 चैत्र सुदी नवमी तिथि मंगलवार को भगवती श्री आवड़देवी यानी तनोट माता का जन्म हुआ था।
- माता की 6 बहनें आशी, सेसी, गेहली, होल, रूप और लांग थीं। देवी मां ने जन्म के बाद क्षेत्र में बहुत से चमत्कार दिखाए और लोगों का कल्याण किया। इस क्षेत्र में राजा भाटी तनुरावजी ने वि.सं. 847 में तनोट गढ़ की नींव रखी थी। इसके बाद यहां देवी मां का मंदिर बनवाया गया और वे तनोट राय माता के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
- जैसलमेर और इसके आसपास के लोगों के मन में देवी मां के लिए गहरी आस्था है। तनोट राय माता मंदिर में हर साल दो बार नवरात्र के दौरान मेला लगता है। इसके अलावा रोज सुबह शाम मंदिर में विधि पूर्वक आरती होती है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
भक्तों की मन्नतें पूरी करती हैं देवी
क्षेत्र में प्रचलित मान्यता के अनुसार यहां आने वाले सभी भक्तों की मन्नतें देवी मां पूरी करती हैं। भक्त मन्नत मांगकर एक रुमाल में कुछ रुपए बांधते हैं और रुमाल यहां रख जाते हैं। इसके बाद जब मन्नत पूरी हो जाती है तो भक्त देवी दर्शन के लिए आते हैं और रुमाल में रखे रुपए यहां चढ़ा देते हैं।
1965 में यहां हुआ था चमत्कार
- 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था। युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। मंदिर की इमारत वैसी की वैसी रही।
- तनोट माता मंदिर परिसर में अभी भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए रखे हुए हैं। ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी मां का ही चमत्कार मानते हैं।
यहां है विजय स्तंभ भी
देवी मां के मंदिर का रख-रखाव भारतीय सीमा सुरक्षा बल ही करती है। यहां भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है। ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है।
कैसे पहुंचे यहां
अगर आप तनोट माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। यहां पहुंचने के लिए देशभर से आवागमन के लिए कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर तनोट माता मंदिर है। मंदिर पहुंचने के लिए आप जैसलमेर से प्राइवेट कार से जा सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान रोडवेज की बस भी तनोट जाती है।
परिचय पत्र जरूर साथ लेकर जाएं
ये इलाका बहुत ही संवेदनशील है। यहां सीमा सुरक्षा बल आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर कड़ी नजर रखता है। ऐसे में आपके पास परिचय पत्र होना बहुत जरूरी है। इसकी मदद से आप यहां होने वाली जांच में परेशानियों से बच सकते हैं।
मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था भी
अगर कोई श्रद्धालु यहां रुकना चाहता है तो उसके लिए यहां रुकने की पर्याप्त व्यवस्था भी है। यहां विश्राम गृह बना हुआ है, जिसमें आप ठहर सकते हैं।
तनोट माता मंदिर में रखे पाकिस्तानी बम, जो फटे नहीं थे।
राजस्थान के जैसलमेर के पास ही स्थित है भारत और पाकिस्तान की बार्डर। यहां देवी मां का एक मंदिर है। मंदिर में तनोट राय माता की प्रतिमा स्थापित है। यहां मान्यता है कि ये माताजी बलूचिस्तान स्थित माता हिंगलाज का ही रूप हैं। यहां देवी के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वही पुण्य मिलता है जो माता हिंगलाज मंदिर में दर्शन से मिलता है। तनोट माता भारतीय सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी हैं। सेना के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं। यहां जानिए तनोत माता मंदिर से जुड़ी खास बातें...
क्या है मंदिर का इतिहास
- इस मंदिर परिसर में लगे शिलालेख के अनुसार जैसलमेर क्षेत्र के निवासी मामडियांजी की पहली संतान के रूप में विक्रम संवत् 808 चैत्र सुदी नवमी तिथि मंगलवार को भगवती श्री आवड़देवी यानी तनोट माता का जन्म हुआ था।
- माता की 6 बहनें आशी, सेसी, गेहली, होल, रूप और लांग थीं। देवी मां ने जन्म के बाद क्षेत्र में बहुत से चमत्कार दिखाए और लोगों का कल्याण किया। इस क्षेत्र में राजा भाटी तनुरावजी ने वि.सं. 847 में तनोट गढ़ की नींव रखी थी। इसके बाद यहां देवी मां का मंदिर बनवाया गया और वे तनोट राय माता के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
- जैसलमेर और इसके आसपास के लोगों के मन में देवी मां के लिए गहरी आस्था है। तनोट राय माता मंदिर में हर साल दो बार नवरात्र के दौरान मेला लगता है। इसके अलावा रोज सुबह शाम मंदिर में विधि पूर्वक आरती होती है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
भक्तों की मन्नतें पूरी करती हैं देवी
क्षेत्र में प्रचलित मान्यता के अनुसार यहां आने वाले सभी भक्तों की मन्नतें देवी मां पूरी करती हैं। भक्त मन्नत मांगकर एक रुमाल में कुछ रुपए बांधते हैं और रुमाल यहां रख जाते हैं। इसके बाद जब मन्नत पूरी हो जाती है तो भक्त देवी दर्शन के लिए आते हैं और रुमाल में रखे रुपए यहां चढ़ा देते हैं।
1965 में यहां हुआ था चमत्कार
- 1965 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था। युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर से माता मंदिर के क्षेत्र में करीब 3000 बम गिराए थे, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। मंदिर की इमारत वैसी की वैसी रही।
- तनोट माता मंदिर परिसर में अभी भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए रखे हुए हैं। ये सभी बम उस समय फटे ही नहीं थे। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी मां का ही चमत्कार मानते हैं।
यहां है विजय स्तंभ भी
देवी मां के मंदिर का रख-रखाव भारतीय सीमा सुरक्षा बल ही करती है। यहां भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण किया गया है। ये स्तंभ भारतीय सेनिकों की वीरता की याद दिलाता है।
कैसे पहुंचे यहां
अगर आप तनोट माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। यहां पहुंचने के लिए देशभर से आवागमन के लिए कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर तनोट माता मंदिर है। मंदिर पहुंचने के लिए आप जैसलमेर से प्राइवेट कार से जा सकते हैं। इसके अलावा राजस्थान रोडवेज की बस भी तनोट जाती है।
परिचय पत्र जरूर साथ लेकर जाएं
ये इलाका बहुत ही संवेदनशील है। यहां सीमा सुरक्षा बल आने-जाने वाले श्रद्धालुओं पर कड़ी नजर रखता है। ऐसे में आपके पास परिचय पत्र होना बहुत जरूरी है। इसकी मदद से आप यहां होने वाली जांच में परेशानियों से बच सकते हैं।
मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था भी
अगर कोई श्रद्धालु यहां रुकना चाहता है तो उसके लिए यहां रुकने की पर्याप्त व्यवस्था भी है। यहां विश्राम गृह बना हुआ है, जिसमें आप ठहर सकते हैं।
तनोट माता मंदिर में रखे पाकिस्तानी बम, जो फटे नहीं थे।
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