Friday, May 4, 2018

इस चमत्कारी जगह पर आज भी होती है केसर और चंदन की बारिश, हर मन्नत होती है पूरी

इस चमत्कारी जगह पर आज भी होती है केसर और चंदन की बारिश, हर मन्नत होती है

पूरी


बेशकीमती चंदन और केसर की बारिश
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बेशकीमती चंदन और केसर की बारिश

आज के जमाने में केसर और चंदन की गिनती बेशकीमती सामानों में होती है, इसे शुद्ध रूप में पाना आम आदमी के पहुंच से बाहर हो चुका है। ऐसे में अगर आपको इसकी खुशबू भरी बारिश का लुफ्त उठाने का मौका मिल जाए तो... चौंकिए नहीं.. हम कल्पना नहीं, हकीकत बता रहे हैं!!
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बेशकीमती चंदन और केसर की बारिश

आयुर्वेद और सौंदर्य शास्त्र दोनों में ही केसर और चंदन के अनगिनत फायदे बताये गए हैं। पुराने जमाने में यह राजघरानो से लेकर आम लोगों तक के बीच खूबसूरत त्वचा औऱ शांत मस्तिष्क पाने का सबसे प्रचित तरीका था। पूजा आदि धार्मिक कार्यों में भी इन दोनों का ही आज भी खास महत्व है। लेकिन ऐसी प्राकृतिक बारिश के बारे शायद आपने सोचा भी ना हो।
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बेशकीमती चंदन और केसर की बारिश

जी हां, भारत में एक ऐसी जगह भी है जहां लोग चंदन-केसर की बारिश का अद्भुत नजारा देखने जाते हैं। इतना ही नहीं, इस पावन जगह पर एक खूबसूरत तीर्थस्थल, जंगल और झरना भी है जिसकी खूबसूरती की आप कल्पना भी नहीं कर सकते। आइए जानते हैं इस स्थल की महत्ता और यहां होने वाली इस खुशबूदार बारिश का रहस्य क्या है...
मुक्तागिरी तीर्थस्थल
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मुक्तागिरी तीर्थस्थल

यह स्थान महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित मालवा क्षेत्र में है। यहां मुक्तागिरी नामक एक पवित्र तीर्थस्थल है जहां दिगंबर जैन मुनियों का सिद्ध क्षेत्र है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां हर सप्तमी और चौदश को चंदन और केसर की बारिश होती है।
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मुक्तागिरी तीर्थस्थल

इस स्थान को मुक्तागिरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि लगभग साढ़े तीन करोड़ साधकों ने यहां आत्म साधना कर मोक्ष प्राप्त किया है। यहां जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के 52 मंदिर हैं जो अपनी अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां के मंदिरों में 600 सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
VIDEO : Ancient Aztec temple, ball court found in Mexico City
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मुक्तागिरी दंतकथा
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मुक्तागिरी दंतकथा

इस स्थान से जुड़ी धार्मिक कहानियां भी बेहद ही रोचक हैं। एक दंतकथा के अनुसार लगभग 1000 साल पहले इस स्थान पर एक जैन मुनि ध्यान में लीन थे। अचानक उसी समय कहीं से उनके सामने एक मरा हुआ मेढ़क आकर गिरा। मुनि की आंख खुली और उन्होंने उस मेढ़क को उठाया।
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मुक्तागिरी दंतकथा

उन्होंने उस मरे हुए मेढ़क के कान में ‘नमोकार’ मंत्र पढ़ा जिससे उस मेढ़क को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह देव बन गया। इसी मेंढक के कारण मुक्तागिरी पर्वत को मेंढागिरी पर्वत के नाम से भी जाना जाने लगा। इस दिन को यहां निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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मुक्तागिरी दंतकथा

कथा के अनुसार इस दिन आकाश से देवतागण चंदन और केसर की वर्षा करते हैं। यहां के मंदिरों की प्रतिमाओं पर इस बारिश की फुहारें भी लोगों को इस दिन देखने को मिलती हैं। 52 मंदिरों में से 10 में पड़ने वाली यह फुहार आप साफ-साफ देख सकते हैं।
पर्यटन स्पॉट
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पर्यटन स्पॉट

यह जगह आपके लिए सिर्फ तीर्थस्थल ही नहीं बल्कि पर्यटन स्पॉट भी बन सकता है। मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर सतपुड़ा के जंगल हैं जहां 250 फीट ऊंचा झरना है। अब आप सोच ही सकते हैं कि यह स्थान प्राकृतिक रूप से कितना सुंदर और अद्भुत होगा।

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