Thursday, August 15, 2019

तनोट माता मंदिर

longewala war memorial

Longewala War Memorial- Hindi Photo Story

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कोई सिख कोई जाट मराठा , कोई गोरखा कोई मद्रासी
सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी
आज का ब्लॉग Longewala War Memorial- Hindi Photo Story  उस पवित्र युद्ध स्थल से जुडा है जिसे हमारे वीर जवानो ने खून से सींचा था . जैसलमेर में ये मेरा आखरी दिन है तनोट माता मंदिर के बाद लोंगेवाला युद्ध स्मारक और फिर उदयपुर .
जो लोग लोंगेवाला के बारे में नहीं जानते उन्हें बता दू लोंगेवाला भारत पाकिस्तान सीमा के निकट भारतीय चौकी है जहाँ 1971 में 4 दिसंबर की शाम भारत और पाकिस्तान की जुंग हुई थी जिसमे भारत की 23 Punjab regiment के 120 जवानों ने भारतीय वायुसेना की मदद से पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट और हजारो की पैदल सेना को खदेड़ दिया था . अब मै तस्वीरो की मदद से Longewala War Memorial की आपको सैर करवाता हु.

Longewala War Memorial – लोंगेवाला युद्ध स्थल

Longewala War Memorial- Hindi Photo Story
लोंगेवाला युद्ध स्थल का प्रवेश द्वार
तनोट माता मंदिर देखने के बाद जिस जगह मै जाने वाले था वो जगह इस 21वी सदी की शुरुवात से ही मेरे दिमाग में थी, जब मैंने j.p dutta की फिल्म बॉर्डर देखी थी जो की लोंगेवाला की लड़ाई पर आधारित थी. तनोट से एक सुनसान रास्ता रेगिस्तान के बीचो बीचो से होते हुए आपको Longewala War Memorial लेकर जाता है .
Longewala War Memorial
बॉर्डर पिलर नंबर 638
पोस्ट पर पहुँचते ही दाहिने हाथ की तरफ एक स्मारक है जहां बॉर्डर का पिलर नंबर 638 रखा है , ये वही पिलर है जिसे पार करके पाकिस्तानी फ़ौज लोंगेवाला में प्रवेश हुई थी . पर्यटक अक्सर सोचते है ये वो जगह है जहां तक पाकिस्तान घुस आया था लेकिन ये सच्चाई नहीं है दरअसल असली जगह जहाँ लड़ाई हुई थी वो ये युद्ध स्थल नहीं है . ये केवल पर्यटकों के देखने के लिए बाद में बनाया गया है . असली जंग पोस्ट से थोडा आगे बॉर्डर के और नजदीक हुई थी जहाँ जाना मना है .अब इसके बाद लोंगेवाला युद्ध स्थल के अंदर प्रवेश करते है .

उपर तस्वीर में दिखाया गया टैंक सही हालत में पाकिस्तानी फ़ौज छोड़ कर भाग गई थी जब वायुसेना ने टैंक रेजिमेंट पर बमबारी शुरू की थी .इसके बाद दूसरा टैंक जिसका नाम है T-59 टैंक, कहा जाता है की जब पाकिस्तान ने चीन से इन टैंक को ख़रीदा तो उन्हें कहा गया की ये जंहा तक जायेंगे वो इलाका पाकिस्तान का हो जाएगा . लेकिन लोंगेवाला में उनका ये वहम भी टूट गया था .
उस युद्ध में भारत की 23 punjab regiment की कमान कुलदीप सिंह चांदपुरी ने सम्भाल रखी थी उनके अलावा और बहादुरों के नाम जिन्होंने उस रात दुश्मन से डटकर मुकाबला किया था .
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भारतीय RCL- JEEP का इस्तेमाल 65 और 71 की लड़ाई में खूब किया गया था ये 106M.M की रायफल होती है जिसे जीप पर बाँधा जाता है . इसके अलावा  106 M.M की एक और एंटी टैंक गन जो की उस लड़ाई में टैंक को बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल की गई थी वो भी सुरक्षित रखी है .
Bttle of longewala name of soldiers
युद्ध गाथा और वीरो के नाम
युद्ध स्थल का ये पहला भाग है जहाँ ये टैंक , और वीरो के नाम के साथ एंटी टैंक गन रखी है. यंहा से वापस बहार आके कुछ कदम और चलने पर रणभूमि में पहुँचते है जहां पाकिस्तान के इरादों को नेस्तनाबूत किया गया था.

Longewala War Memorial ( part 2- रणभूमि )

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4-5  दिसंबर की रात जब मेजर कुलदीप सिंह जमीन में एंटी टैंक माइंस बिछाने का काम करवा रहे थे तब वायरलेस पर सूचना आई के प्रधानमन्त्री ने लड़ाई के आदेश दे दिए है क्यूंकि कई जगह पाकिस्तान यंहा से पहले ही प्रवेश कर चूका था . आदेश मिलते ही लेफ्टिनेंट धरमवीर को 29 सिपाहियों के साथ सीमा पर भेजा ताकि दुश्मन के आने की सुचना मिल सके.
अँधेरा होने से पहले खबर आ चुकी थी की पाकिस्तान टैंक और हजारो की फ़ौज के साथ पिलर नंबर 638 से लोंगेवाला की तरफ बढ़ रहा है . इतनी बड़ी सेना की खबर सुनके मेजर चांदपुरी ने हेड क्वाटर्स से बात की ताकि उन्हें उस विशाल सेना से लड़ने में सहायता मिल सके पर आदेश मिला के पोस्ट खली करके रामगढ लौट जाओ या उनसे 120 जवानो के साथ ही लड़ो .
मेजर चांदपुरी ने पीछे हटने के बजाय लड़ना जायज समझा अब तस्वीरो में भारत की रणनीति और लड़ाई की वो रात .
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मेजर ने जवानो की मदद से जमीन खुदवाकर एक पतली गली को बनवाया जिसे COMMUNICATION STRENTCH  कहते है जो की एक बंकर से दुसरे बंकर को जोड़ता है . इसका इस्तेमाल सैनको के खड़े होने के लिए किया गया था ताकि गोलीबारी में कुछ बचाव हो .
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बंकर में जवान मशीन गन से दुश्मन पर जोरदार हमला करते है एक बंकर में 2-3 सैनिक होते है , उस रात तीन बंकर में से एक में लेफ्टिनेंट धर्मवीर और BSF के कप्तान भैंरो सिंह थे . बाद में इन बंकर को पाकिस्तानियो ने टैंक से ध्वस्त कर दिया था .
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RCL जीप
अगर आपने Battle of Longewala पर आधारित बॉर्डर फिल्म देखी है तो ये जीप याद होगी जो मथुरा दास लड़ाई के कुछ समय पहले लेकर  आता है.  उस फिल्म में हुबहू कहानी बताई गई है कुछ जगह जरुर थोडा मिर्च मसाला कहानी में लगाया गया है ताकि फिल्म मजेदार हो सके .
सामने जो टैंक खड़ा है वो केवल ढांचा है उस टैंक का जो लैंड माइंस की चपेट में आ गया था और ध्वस्त हो गया था . एक  पाकिस्तानी ट्रक हथियार के साथ पाकिस्तान की तरफ से आया था जो लैंड माइंस में ध्वस्त हुए टैंक के साथ उड़ गया था यानि दुर्घटना ग्रस्त हो गया था .
Longewala War Memorial पर सब चीजो को ज्यूँ के त्यु स्थापित किया है आपके जानकारी के लिए की कैसे उस रात 120 जवानो ने पकिस्तान का मुकाबला किया था बाकी की कहानी आप जानते ही है की कैसे सुबह होते ही वायुसेना ने ताबड़ तोप हमले करके टैंक छोड़ भागने पर पाकिस्तान को मजबूर कर दिया था और उनका जैसलमेर में नाश्ता करने का अरमान अधुरा रह गया था . इस से थोडा आगे वाच टावर और कुछ और टैंक है जहाँ जाने की अनुमति नहीं है .
वापसी में आप वो मंदिर देख सकते है जो जवानो ने बनाया था और रोज पूजा करते थे . यंहा एक डाक्यूमेंट्री फिलम चलती है जो की जरुर देखे उसमे भी लड़ाई की गाथा को बड़े शानदार ढंग से बताया गया है इसके लिए कोई फीस टिकट नहीं लगती .

CAFE  BUNKER  भारत का आखरी कैफ़े

लोंगेवाला युद्ध स्थल के पास कोई रुकने का होटल नहीं है लेकिन दो कैफे है जिनको फ़ौज ने आम लोगो के लिए बनाया है यहाँ थोड़ी देर घुमने के बाद रुक कर नास्ता कर सकते है और कीमत भी वाजिब है अन्य रेस्तरो की तरह टैक्स लगाकर नहीं ली जाती.
कैफ़े के सामने ही एक और स्मारक है और वो कुआं जिसमे पाकिस्तानियों ने जहर डाल दिया था .

टिकट और कैसे पहुंचे

Longewala War Memorial केवल निजी साधन से आप जा सकते है कोई सरकारी बस या अन्य साधन यंहा नहीं जाता . सडक एक दम सही मजबूत हालत में है. इलाका शांत है और सुनसान फिर भी बिना खतरे के किसी आ जा सकते है . यंहा कोई टिकेट सिस्टम भी नहीं है केवल कैफे में खाने के पैसे देने पड़ते है .
जाने का अनुकूल समय
थार रेगिस्तान के बीचो बीच होने के कारण ये इलाका बेहद गरम है , गर्म हवाए और रेतीले तूफ़ान अक्सर आते है इसलिए अगर गर्मियों में जाते है तो शाम 5 बजे  के बाद जाएँ और सुबह 10 बजे से पहले जाए . इसके अलावा सबसे अनुकूल समय है अक्टूबर से मार्च जिसमे आप कभी भी जा सकते है .
Longewala to Pakistan border distance
लोंगेवाला से पाकिस्तान बॉर्डर  लघभग 15 km दूर है जहाँ पर जाने की किसी को इजाजत नहीं है दोनों देशो ने आसपास माइंस बिछा रखे है जिनका मवेशियों को सबसे ज्यादा नुक्सान होता रहता है .
मेरा ये सफ़र यही ख़त्म होता है आप जैसलमेर जाएँ तो एक बार यंहा भी जाकर आये .

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