Sunday, August 9, 2020

जान हथेली पर रखकर भूमिपूजन के लिए पाकिस्तान से लेकर आये शारदापीठ की मिट्टी

 

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास हो चुका है. सदियों तक चले एक लम्बे संघर्ष के बाद राम भक्तों को अपने प्रभु के लिए मंदिर बनाने का अवसर मिला है तो वो भी कोई कसर नहीं रखना चाहते, भूमिपूजन के लिए लगभग 972 तीर्थों की मिट्टी और कई पवित्र नदियों का जल भी उपयोग में लाया गया है. इसी के चलते भारत का एक दंपत्ति पाकिस्तान के मुज्ज़फराबाद में स्थित हिन्दू धर्म के पवित्र तीर्थ शारदा पीठ की मिट्टी लेकर आया और उसे अयोध्या में होने वाले भूमिपूजन के सौंप दिया. लेकिन ये बहुत मुश्किल काम था, और जब राम मंदिर के लिए शारदा पीठ की मिट्टी की जरूरत महसूस हुई तो चेन्नई के मूल निवासी और वर्तमान में चीन में बस चुके वेंकटेश रमन और उनकी पत्नी को इस काम का दायित्व सौंपा, क्योंकि वेंकटेश रमन व उनकी पत्नी इससे पहले तमिलनाडु के कांची मठ और कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के लिए शारदा पीठ की मिट्टी लेकर आये थे.ImageSource

शारदा पीठ फाउंडेशन से जुड़े अंजना शर्मा ने बताया कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे में होने के कारण कोई भारतीय, पाक अधिकृत काश्मीर में नहीं जा सकता, इसलिए मिट्टी लाना बहुत कठिन कार्य था. लेकिन POK में वो लोग जा सकते हैं, जिनके पास चाइना का पासपोर्ट है, इसलिए हमने चीन की नागरिकता ले चुके वेंकटेश रमन से संपर्क किया गया तो वो मिट्टी लाने के लिए तैयार हो गए.

और इस ऑपरेशन के लिए वेंकटेश रमन हांगकांग के रास्ते से होते हुए POK की राजधानी मुजफ्फराबाद पहुंचे, और वहां से शारदा पीठ गए, वहां पहुंचकर मंदिर के पुजारी से संपर्क किया और मिट्टी लेकर फिर हांगकांग के रास्ते दिल्ली पहुंचे. अंजना शर्मा ने बताया कि दिल्ली में वेंकटेश रमन ने शारदा पीठ की पवित्र मिट्टी और प्रसाद उन्हें सौंपा. इसके बाद शर्मा ने अयोध्या पहुंचकर शारदा पीठ की मिट्टी और प्रसाद राममंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया.

शारदा पीठ मंदिर करीब 5 हजार वर्ष पुराना माना जाता है. यह उरी से 75 किलोमीटर और श्रीनगर से करीब सौ किलोमीटर दूर पीओके में है और यह प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. यही कारण है कि कश्मीरी पंडित और देश के हिंदू यहाँ पहुंचने के लिए लंबे समय से एक कॉरिडोर की मांग कर रहे हैं.

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