Wednesday, May 27, 2015

क्षीर भवानी मंदिर


अमरनाथ गुफा के बाद कश्मीर के क्षीर भवानी मंदिर की मान्यता सबसे ज्यादा है। जो लोग अमरनाथ नहीं जा पाते हैं वह यहां आकर मोक्ष की प्राप्त‌ि के लिए प्रर्थना करते हैं। मंगलवार को कश्मीर में मां भवानी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर क्षीर भवानी मंदिर में हर वर्ष की तरह बड़े मेले का आयोजन किया गया। देश भर के साथ विदेशों से आए हजारों भक्तों ने माता के दर्शन किए।श्रीनगर से करीब 25 किलोमीटर दूर गांदरबल जिले के तुल्मुल्ला गांव में� मंगलवार को मां भवानी के जन्मदिन पर भक्तों बहुत बड़ा मेला लगा। कश्मीरी पंडितों में मां भवानी को कुल देवी माना जाता है।आज के दिन देश विदेश से भक्त यहां आकार माता के जल स्वरूप की पूजा करते हैं। जम्मू से आए भक्त मोती लाल कॉल (85) ने बताया कि वह करीब 15 वर्षों के बाद कश्मीर आए हैं। उन्हें यहां आकर काफी शांति मिली।कॉल के अनुसार, उन्होंने कश्मीर की खुशहाली के लिए प्रार्थना की और मां से दुआ मांगी कि जिस भाईचारे के लिए कश्मीर माना जाता रहा है वह हमेशा कायम रहे।एक और भक्त मीनाक्षी धर (23) जो दिल्ली से आई थी, का कहना था कि वह पहली बार कश्मीर आई हैं और उन्हें यहां आकर काफी अच्छा लगा। उन्होंने मां से यही मांगा कि कश्मीर में शांति बनी रहे और वह दुबारा यहां आकर रहे।माता क्षीर भवानी के मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर हनुमान जी� माता को जल स्वरूप में अपने कमंडल में लाए थे। यह भी कहा जाता है कि जिस दिन इस जल कुंड का पता चला वह� ज्येष्ट अष्टमी का दिन था। इसलिए हर साल इसी दिन मेला लगता है।माता को प्रसन्न करने के लिए दूध और शक्कर में पकाए चावलों का भोग चढ़ाने के साथ-साथ पूजा अर्चना और हवन किया जाता� है। भक्तों का मानना है कि माता आज भी इस जल कुंड में वास करती हैं।यह जल कुंड� वक्त के साथ साथ रंग बदलता रहता है, जिससे भक्तों को� अच्छे और बुरे समय का ध्यान हो जाता है। यह� कुंड लाखों लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। एक भक्त विजय कॉल ने बताया कि 90 के दशक में जब कश्मीर में हालात खराब थे तो उस समय जल कुंड का रंग काला हो गया था जो बुरे समय का प्रतीक है।यह जल कुंड� वक्त के साथ साथ रंग बदलता रहता है, जिससे भक्तों को� अच्छे और बुरे समय का ध्यान हो जाता है। यह� कुंड लाखों लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। एक भक्त विजय कॉल ने बताया कि 90 के दशक में जब कश्मीर में हालात खराब थे तो उस समय जल कुंड का रंग काला हो गया था जो बुरे समय का प्रतीक है।उन्होंने यह भी बताया कि जब रंग हरा या नीला हो तो तब समय अच्छा होता है। गौरतलब यह है कि इस मंदिर का निर्माण 1912 में राजा हरि सिंह ने� करवाया था। इस मंदिर की खास बात यहां का जल कुंड है, जिसके साथ लाखों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है।क्षीर भवानी मंदिर की खासियत यह भी है कि आज भी इस स्थान पर सदियों से चला आ रहा कश्मीरी भाईचारा जिंदा है। मंदिर में चढ़ने वाली सामग्री इलाके के स्थानीय लोग बेचते हैं जो भाईचारे का एक बहुत बड़ा उदाहरण है।

No comments:

Post a Comment