Monday, April 9, 2018

मिलिए पत्रकार दिनेश से, जो 17 सालों से अपने हाथ से लिखे अख़बार चला रहे हैं


मिलिए पत्रकार दिनेश से, जो 17 सालों से अपने हाथ से लिखे अख़बार चला रहे हैं

इस ख़बर को पढ़ने के बाद आप भी कहेंगे- सलाम दिनेश!

मिलिए पत्रकार दिनेश से, जो 17 सालों से अपने हाथ से लिखे अख़बार चला रहे हैं
Photo credit- Bikram Singh
Bikram Singh
Updated: April 9, 2018, 11:46 PM IST
क्या आप पत्रकार दिनेश को जानते हैं? ये सवाल पूछा जाए तो शायद आप इसका जवाब भी न दे पाएं. ये बिल्कुल वाज़िब भी है, क्योंकि ये एक ऐसे पत्रकार हैं, जिनकी अपनी कोई पहचान नहीं है. ये न किसी अख़बार में काम करते हैं और ना ही कोई न्यूज़ चैनल में. मगर इनकी कहानी जानने के बाद आप इन पर कहेंगे कि वाकई में ये एक सच्चे पत्रकार हैं.

इस तस्वीर में आपको कुछ पुराने कागज़ दिख रहे होंगे, साथ ही एक जख़्मी पैर. दरअसल, ये पुराने कागज़ अख़बार हैं और ये जख़्मी पैर पत्रकार दिनेश के हैं. उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर में दिनेश नाम का एक ऐसे पत्रकार हैं, जिनके पास न अपनी छपाई मशीन है, न ही कोई स्टाफ़, मगर पिछले 17 सालों से वो अपना हस्तलिखित अख़बार चला रहे हैं. इनके अख़बार का नाम 'विद्या दर्शन' है. वर्तमान में दिनेश की उम्र 55 साल है, मगर अपने जज़्बे से अभी भी वो 25 साल के युवा दिखते हैं.

पहले अख़बार लिखते हैं फ़िर फेरी लगाते हैं

Photo Credit-Bikram Singh


दिनेश बचपन से ही समाज के लिए कुछ करना चाहते थे. वो वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे, मगर आर्थिक स्थिति इसकी इजाज़त नहीं दे रही थी. आठवीं तक पढ़ाई करने के बाद दिनेश ने काम करना शुरु कर दिया. काम करने के अलावा वो सामाजिक काम भी करते रहे. वो अपनी बात और सोच को समाज के बीच प्रमुखता से लाना चाहते थे. ऐसे में दिनेश ने हाथ से ही लिखकर अपना अख़बार चलाना शुरु कर दिया. दिनेश रोज़ सवेरे 10 बजे जिलाधिकारी कार्यालय आते हैं और 3 घंटे में अपनी ख़बर लिखते हैं. उसके बाद अपने काम चले जाते हैं. 

सोशल मीडिया पर दिनेश के काम को काफ़ी सराहना मिल रही है


अपने अख़बार में दिनेश सामाजिक मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं और उस पर अपनी गहन और निर्भीक राय रखते हुए ख़बर लिखते हैं. दिनेश एक ऐसे पत्रकार हैं, जो कलम से नहीं दिल से लिखते हैं. 

अख़बार लिखने के बाद दिनेश इसकी कई फ़ोटोकॉपियां करवाते हैं और शहर के प्रमुख चौराहों पर चिपकाते हैं. इतना ही नहीं, दिनेश अख़बार की एक प्रति मुख्यमंत्री कार्यालय और एक प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय फैक्स के ज़रिए भेजते हैं. अख़बार चिपकाने के बाद दिनेश अपने जीविकोपार्जन के लिए अपनी साइकिल के साथ निकल जाते हैं और शहर में घूम-घूम कर चॉकलेट्स और आइस्क्रीम बेचते हैं. इन्हें बेचने के बाद दिनेश को करीब 250-300 रुपये मिल जाते हैं. इन पैसों से वो अपने और अपने परिवार का पेट पालते हैं.

Photo Credit- Bikram Singh

दिनेश हमारे लिए प्रेरणा से कम नहीं हैं. वो एक साधारण नागरिक हैं, मगर उनकी सोच बहुत बड़ी है. वो हमसे बताते हैं कि ज़िंदगी इंसानों को भी मिली है और जानवरों को. हम इंसानों के पास जीने का एक लक्ष्य होना चाहिए. हमें समाज के बारे में सोचना चाहिए. मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि हम समाज के उत्थान के लिए कुछ करें. 

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बगैर किसी स्वार्थ, बगैर किसी सशक्त रोज़गार और बगैर किसी सहायता के दिनेश अपने काम से कई लोगों को प्रभावित कर रहे हैं. उनकी मेहनत को मुजफ्फरनगर के ज़िलाधिकारी भी सराह चुके हैं.

ये दिनेश के अख़बार 'विद्या दर्शन' की एक फ़ोटो है

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अख़बार लिखने के कारण दिनेश ने शादी नहीं की वो बताते हैं कि अख़बार, ख़बर और परिवार के कारण कभी समय ही नहीं मिला कि शादी के बारे में सोच सकूं. मुझे लगा कि फ़िर लिखना बंद हो जाएगा इसलिए शादी नहीं की.

दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी मेहनत से एक बेहतर समाज बनाना चाहते हैं. दिनेश उन्हीं लोगों में से एक हैं. बिना किसी की मदद लिए दिनेश अख़बार निकालते हैं. ये जानते हुए भी कि उनको पढ़ने वाले बहुत कम है, मगर उन्हें ख़ुद पर विश्वास है कि उनकी ख़बर समाज के लिए काफ़ी उपयोगी है.

वो हमसे बताते हैं कि ख़बर लिखते समय मेरी कोशिश रहती है कि ऐसे मुद्दे उठाए जाएं, जिनमें कोई समाधान हो. अगर मेरी ख़बर से किसी एक भी व्यक्ति की भलाई हो गई तो मेरा लिखना सफ़ल हो जाएगा.

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